ॐ गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:। गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।

हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!!

आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति के बिना मै जी सकूँ.

ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख राशि

!! श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेवाय !!

Thursday, March 20, 2014

गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:। गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।

गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:
गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।

प्रेम अमिय मन्दर विरह भरत पयोधि गँभीर।
मथि प्रगटे सुर साधु हित कृपासिन्धु रघुबीर।।
बिस्व भरण-पोषण कर जोई।  ताकर नाम भरत अस होई।।
गई बहोर गरीब नेवाजू।  सरल सबल साहिब रघुराजू।।
जपहि नामु जन आरत भारी।  मिटाई कुसंकट होहि सुखारी।।
नमो भगवते वासुदेवाय
ओम नमः शिवाय
कैलाशी काशी के वासी अविनाशी मेरी सुध लीजो।
सेवक जान सदा चरनन को अपनी जान कृपा कीजो॥
तुम तो प्रभुजी सदा दयामय अवगुण मेरे सब ढकियो।
सब अपराध क्षमाकर शंकर, सबकी की विनती सुनियो॥

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमस्तस्यैनमोनम:।।
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।
मनःषष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति:II

स्वामी रामसुखदास जी महाराज

हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!! हे नाथ ! हे नाथ मैँ आपको भूलूँ नही...!!
आप मेरे हृदय मेँ ऐसी आग लगा देँ कि आपकी प्रीति के बिना मै जी सकूँ.

ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख राशि
!! श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेवाय !!

शांताकरम भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णँ शुभांगम।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगभिर्ध्यानिगम्यम। वंदे विष्णु भवभयहरणम् सर्वलोकैकनाथम॥

हनुमान जी के नाम

हनुमान, अंजनी सुत, वायु पुत्र, महाबल, रामेष्ठ, फाल्गुण सखा, पिंगाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीता शोक विनाशन, लक्ष्मण प्राण दाता, दशग्रीव दर्पहा

रामायण के माहा चरित्र

रामायण को हिंदूवर्ग के लोगो दुआरायक पूज्येनीय ग्रन्थ है! कुछ विद्वान् इस ग्रन्थ को काल्पनिक कथाओ का संग्रह मानते है! पहली बात तो यह है की अगर इतना बड़ा समुदाय इस ग्रन्थ की सत्त्यता को मानते है ! तो उनेह किसी के भी विचार से विचलित होने की जरुरत नही है! लोग भले ही इसे एक काल्पनिक ग्रन्थ माने पर वह भी इसके द्वारा अपने जीवन मे कुछ लाभ कमा सकते है !


१.मार्यादा पुरशोतम श्री राम :- श्री राम रामायण के महानायकऔर महापात्र है! जिन्होंने कई आदर्शो को अपने जीवन मे उतारकर एक सादारण मनुस्य की भांति जीवन मे आने वाले हर सुख दुःख को अपना कर एक पुत्र ,भाई ,पति ,मित्र ,शिष्य ,सम्बन्धी,युवराज,राजा,आदि सभी मे आपना कर्म करके सभी के सामने यह उदहारण दिया है की स्वंम भगवान् को भी कर्म से मुक्ति नही है और उनेह भी दुखो -परेसनियो का सामना करना पड़ता है ! तो आम आदमियों की तो बहुत छोटी बात है !


२.सीता:-प्रभु श्री राम जी की भार्या सीता है ! जिनका चरित्र समस्त भारतीय महिलाओ के लिए आदर्श है ! क्योकि माता सीता जी ने महलो का सुख छोड़ कर अपने पति के साथ जंगलो मे जाना स्वीकार किया और हमेशा पतिव्रत धर्म का पालन किया !


३.दशरथ:-श्री राम प्रभु के पिता होने का गोरव सूर्यवंशी महाराज दसरथ जी को प्राप्त हुआ है!दसरथ जी ने अपने चरित्र मे आदर्श महाराजा ,पुत्रोको प्रेम करने वाला पिता,और अपने वचनों की प्रति पूर्ण समर्पित थे!और अनुचित होते ही भी अपने वचनों पालन किया ! जिससे यह सिख मिलती हे की बिना सोचे किसी भी प्रकार का वचन नही देना चाहीऐ यह सर्वथा अनुचित है !
४.लछमन :- श्री राम प्रभु के अनुज होने के साथ ही राम जी का विशेष स्नेह प्राप्त है !लछमन जी को आदर्श भाई होने का गोरव प्राप्त है और यह भी कहा जाता है की राम दुबारा जनम ले सकते है परंतु लछमन जेसा भाई दुबारा नही हो सकता है !कियोकी इनके जीवन का एकमात्र लाछ्य श्री राम की सेवा मे समर्पित कर समस्त सुखो को त्याग कर हमेशा राम जी का साथ दिया !
५.भरत :-भरत जी चरित्र आदर्सो से परिपूर्ण था और वह भी राम जी के के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से प्रेम करता था इसिलीय जो राज उसे अपनी माँ की कुटिलता के कारन प्राप्त हुआ पर उसने राज पाठ न अपना कर भगवान् श्री राम की चरण पादुका को सिहासन आरुढ कर स्वम उनके प्रतिनिधि के तोर पर राज की देख भाल की जो भरत के महान चरित्र को दर्शाती है !
६.शत्रुघन :-इन्होने भी लछमन के समान ही भरत की सेवा और श्री राम जी की आराधना की !
७.हनुमान :-हनुमान जो श्री राम के सबसे बडे भक्त है !हनुमान जी ने अपनी जीवन राम जी की सेवा भक्ति मे ही समर्पित किया है !वेसे हनुमान जी काफी कथा प्रचलित हे परन्तु इनकी सबसे बड़ी ख़ास बात है की निस्वार्थ भक्ति और सेवा भाव!
जय श्री राम

3 comments:

  1. मनही मनुष्य है। जो जिवनमे योग अभ्यास हो तो अपने श्वास पर विजय पालो। श्वास चला जाये उससे पहले उसके साथ हो जाये और वह हमारे शरीरमे कहा चल रह है उसकी खबर ले जैसेकी पेटमे चल रहा है यां छातीमे वहासे वह(श्वास) मस्तिक तक ले जाये तो जिवनका उदेष्य पूरा हो जात है। मनुष्य जन्मका अधिकार जो है जीसके लिये जन्म हुवा है मेरा जन्म सिध्ध अधिकार मैं भगवानके साथ जुडा हुँ और भगवानही है जो मेरे सारे कार्योका आधार है या वही है जीससे शरीर बन पाया और शरीरमे रहते हुवे उसके(भगवानके) सारे कार्य हो रहे है जो बिलकुलही हमारे नहि है उसका होश आ जाये आत्मा से परमात्मा तक का सफर तय हो जाये। जिवन ध्यान मय हो जाये तो धन्य हो जाये जीवन। होश ही तो जिवन है और भगवानही है सारे विश्वका होश जो दुसरा है जिवनमे भगवानके अलावा तो छलावा हो रहा है जीसके लिये वह खुदही जिमेवार है मनुष्य कोइ दुसरा नही। गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:। गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।हमारा आत्माही हमारा गुरु जो परमात्माका तकका सफर तय कर शक्ता है जो अनंत है। गुरुके चरणोमे कोटी कोटी वंदन चरण वह जीनमे सिर्फ और सिर्फ ज्ञानकीही अनुभुति हो, अकेला आया है और अकेला ही जायेगा उसका जीवन धन्य हो जाता है।

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  2. जय सत्य सनातन धर्म।।

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